फोजी मेरया हो ओ , छुटिया तू आ जा फोजिया ,
सखिया छेड़दीयां हो ओ , घर कद ओणा लोभिया |
पींघा झूटदियां हो ओ , सखियाँ ता सारी फोजिया,
बंगा पुछदीयां हो ओ , घर कद ओणा फोजिया |
राती मेरया हो ओ , निद्रां नी ओंदियाँ फोजिया,
बंगा छणकदीयां हो ओ , घर कद ओणा फोजिया |
फोटो तेरिया जो हो ओ , सीने लाई सोंदी फोजिया,
छम छम रोंदिया हो ओ ,घर कद ओणा फोजिया |
मेहँदी हथडुआं दी हो ओ , उतरी नी हाली फोजिया,
नदियां भरी राहियां ओ हो , जींद जान तेरी फोजिया |
फोजी मेरया हो ओ , छुटिया तू आ जा फोजिया ||
हिमाचली गीत बिंदु नीलू दो सखियाँ
पारे पासे हो गईआं हो बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
बड़े घरां दियां , हो बडिया मजाजा पाटियाँ !!
हो पारे बत्ता हो गईयां, बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
मटक मटक चले हो दिले ते चलान्दी छुरियां !!.
मटक मटक चले हो दिले ते चलान्दी छुरियां !!
छोरु लुकी छुपी दिखदे हो, दूरों दूरों मारें सीटियां !!
छोरु लुकी छुपी दिखदे हो, दूरों दूरों मारें सीटियां !!
पारे पासे हो गईआं हो बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
बडिया चलाक मित्रो, अखियां ने करे बतियाँ !!
आँख जेई लाई जांदियां जित्थु ते भी टपियाँ !!
हो पारे बत्ता हो गईयां, बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
लोक रोज ग्लां करदे , बाजार हटियां !!
छोरु कलजुआं पकड़दे, दिखी करि जदो हसियां !!
हो पारे बत्ता हो गईयां, बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
Himachali jokes, Jokes in pahari, Funny Jokes, जोक्स इन हिमाचली
लाड़ी: कुथिया जो चली रे?
लाड़ा : जान देणे
लाड़ी: सौगी इक झोळू लेई के जांयों
लाड़ा: कजो?
लाड़ी: इरादा अगर बदळी जांगा ता औंदे औंदे, 2 किलो प्याज़ कने लुंगड़ू लैंदे आयो !!
दो चुहे रूखे पर थे बेठ्यो,
इक हाथी निकल्या कने इक चूहा तिस पर पई गया ,
कने दुजा चूहा लगा बोलना ,
दबाई करी रख इस्यो लगया मैं भी ओणा !!
इक बरी इक आदमी कने सदी औरत सोया दे थे ,
कने औरता दे पैरा वाली इक नागिन आई ,
आदमी बोला नागनी जो की सची जा इसा जो ,
ता नागिन पता क्या बोल्दी- फुक्या तेरा मुंड, ऐ ता मेरी गुरु है मैं ता आशीर्वाद लेणा आइयो !!,
मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी
मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी – मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी ,
लाडा जालु खाण लगया , खा गया बाटी सारी- लाडा जालु खाण लगया , खा गया बाटी सारी,
लाडे जालु होर मंगया , लबडा ने कड़छी मरी – लाडे जालु होर मंगया , लबडा ने कड़छी मारी ,
लबडा ते खून बगया , होया मुकदमा भरी -मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी !!
मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी – मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी ,
लाडे दा चाचा जालु खाण लगया , खा गया बाटी सारी- लाडा जालु खाण लगया , खा गया बाटी सारी,
लाडे दा चाचे जालु होर मंगया , लबडा ने कड़छी मरी – लाडे जालु होर मंगया , लबडा ने कड़छी मारी ,
लबडा ते खून बगया , होया मुकदमा भरी -मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी !!
लसोड़े का अचार – Gunda Pickle Recipe – Lasoda ka Achar
लिसयाडे हिमाचल की एक प्रसिद्ध सब्जी है और हिमाचल के अलग अलग भागों मे अलग अलग नाम से जाना जाता है | लिसयाडे का समय सिर्फ दो-तीन महीने ही होता है मई, जून और जुलाई | लीजिए आज हम आपके लिए लिसयाडे के आचार के रेसिपी शेयर करते हैं | ये आचार बड़ा ही स्वादिष्ट होता है| लसयाडे का आचार को आप बनाकर एक साल तक खाने के प्रयोग मे ला सकते हैं और बनाना भी आसान है |
आवश्यक सामग्री –
लसयाडे – 500 ग्राम
हींग – 1/4 छोटी चम्मच से आधा
पीली सरसों – 3 छोटी चम्मच ( पिसी हुई )
सोंफ – 2 छोटी चम्मच ( पिसी हुई )
मेथी दाने – 1 छोटी चम्मच
अजवायन – 1/2 छोटी चम्मच
जीरा – 1/2 छोटी चम्मच
हल्दी पाउडर – 1 छोटी चम्मच
लाल मिर्च पाउडर -1 छोटी चम्मच
नमक – 2 छोटी चम्मच
सरसों का तेल – 100 ग्राम (आधा कप)
लसयाडे के आचार बनाने की बिधि –
Lsyadee लसयाडे को डंठल तोड़कर अच्छी तरह 2 बार धो लीजिये. भगोने में आधा लीटर पानी ( इतना पानी लीजिये कि लसयाडे पानी में डूब जाय) भर कर गरम करें | जब पानी में उबाल आ जाय तो लसयाडे पानी में डाल दें | पानी में फिर से उबाल आने के बाद पांच मिनट ढककर कम गैस पर पकने दें फिर गैस बन्द कर दें|
लसयाडे का पानी निकाल दीजिये, और छलनी में रखकर अच्छी तरह पानी निकलने तक रख लीजिये, लसयाडे के अन्दर से गुठली निकाल लें. लसयाडे को 2 भागों में काट लें | आचार बनाने के लिये लसयाडे तैयार हैं | lasode ka achar
कढाई में जीरा, मेथी के दाने, अजवायन और सोंफ डालकर हल्का सा भून लीजिये, मसालों को ठंडा करके मिक्सर में डालिये और साथ में, पीली सरसों, नमक और हल्दी डालकर दरदरा पीस लीजिये, कढ़ाई में तेल डाल कर गरम कीजिये, तेल को अच्छी तरह गरम होने के बाद, तेल में लसयाडे डाल दीजिये, पिसे मसाले, लाल मिर्च और हींग डालकर अच्छी तरह मिला दीजिये, गैस बन्द कर दीजिये |Lsyadee ka achar
लसयाडे का आचार (Lasude ka Achar) तैयार हैं | अचार को ठंडा करके किसी जार में रख दें | इस आचार को तैयार होने में 6-7 दिन लग जाते हैं | आचार को दिन में एक बार चमचे से ऊपर नीचे कर दें | आचार खट्टा और बहूत ही स्वादिष्ट होता है |अब इस आचार को खा सकते हैं |
आचार खराब होने से बचाने के लिये अचार में इतना तेल गरम करके ठंडा करके डाल दीजिये कि लसयाडे तेल में डूबे रहें. अब आप यह आचार साल भर तक कभी भी खाइये |
लाडे दा चाचू गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे
हिमाचल में शादी विवाह के अवसर पर गीत गाने की परम्परा हमारे हिमाचल की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इन गीतों के अभाव में विवाह के अवसर को पूर्ण नहीं माना जाता । हिमाचल में ऐसे अनेक लोक गीत प्रचलित हैं, जिन्हें विवाह के अवसर पर गाया जाता है। एक इस ही है यह गीत है जिसे दुल्हन की तरफ की औरतें दूल्हे के साथ आये बारातियों को यह गीत गा कर निशाना बनाती थी !!
लाडे दा चाचू गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे ,
मछलियें फड़ लया, मुछां दा बाल, हर गंगे भई हर गंगे ,
छड़ दे मछलियें मुछा दे मुछां, हर गंगे भई हर गंगे ,
हुण नी ओंगा तेरे दरबार , हर गंगे भई हर गंगे,
लाडिया जो चड़ांगा तेरे दरबार, हर गंगे भई हर गंगे !!
लाडे दा मामा गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे ,
मछलियें फड़ लया, नके दा बाल, हर गंगे भई हर गंगे ,
छड़ दे मछलियें मुछा दे मुछां, हर गंगे भई हर गंगे ,
हुण नी ओंगा तेरे दरबार , हर गंगे भई हर गंगे,
लाडिया जो चड़ांगा तेरे दरबार, हर गंगे भई हर गंगे !!
श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध हिमाचल प्रदेश
बाबा बालकनाथ जी हिन्दू आराध्य हैं, जिनको उत्तर-भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश , पंजाब , दिल्ली में बहुत श्रद्धा से पूजा जाता है, इनके पूजनीय स्थल को “दयोटसिद्ध” के नाम से जाना जाता है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के छकमोह गाँव की पहाड़ी के उच्च शिखर में स्थित है। मंदिर में पहाडी के बीच एक प्राकॄतिक गुफा है, ऐसी मान्यता है, कि यही स्थान बाबाजी का आवास स्थान था। मंदिर में बाबाजी की एक मूर्ति स्थित है, भक्तगण बाबाजी की वेदी में “ रोट” चढाते हैं, “ रोट ” को आटे और चीनी/गुड को घी में मिलाकर बनाया जाता है। baba balak nath madir
यहाँ पर बाबाजी को बकरा भी चढ़ाया जाता है, जो कि उनके प्रेम का प्रतीक है, यहाँ पर बकरे की बलि नहीं चढ़ाई जाती बल्कि उनका पालन पोषण करा जाता है।
कलयुग में बाबा बालकनाथ जी ने गुजरात, काठियाबाद में “देव” के नाम से जन्म लिया। उनकी माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम वैष्णो वैश था, बचपन से ही बाबाजी ‘आध्यात्म’ में लीन रहते थे। यह देखकर उनके माता पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय किया, परन्तु बाबाजी उनके प्रस्ताव को अस्विकार करके और घर परिवार को छोड़ कर ‘ परम सिद्धी ’ की राह पर निकल पड़े। और एक दिन जूनागढ़ की गिरनार पहाडी में उनका सामना “स्वामी दत्तात्रेय” से हुआ और यहीं पर बाबाजी ने स्वामी दत्तात्रेय से “ सिद्ध” की बुनियादी शिक्षा ग्रहण करी और “सिद्ध” बने। तभी से उन्हें “ बाबा बालकनाथ जी” कहा जाने लगा।
बाबाजी के दो पृथ्क साक्ष्य अभी भी उप्लब्ध हैं जो कि उनकी उपस्तिथि के अभी भी प्रमाण हैं जिन में से एक है “ गरुन का पेड़” यह पेड़ अभी भी शाहतलाई में मौजूद है, इसी पेड़ के नीचे बाबाजी तपस्या किया करते थे। दूसरा प्रमाण एक पुराना पोलिस स्टेशन है, जो कि “बड़सर” में स्थित है जहाँ पर उन गायों को रखा गया था जिन्होंने सभी खेतों की फसल खराब कर दी थी, जिसकी कहानी इस तरह से है कि, एक महिला जिसका नाम ’ रत्नो ’ था, ने बाबाजी को अपनी गायों की रखवाली के लिए रखा था जिसके बदले में रत्नो बाबाजी को रोटी और लस्सी खाने को देती थी ,baba balak nath ji
ऐसी मान्यता है कि बाबाजी अपनी तपस्या में इतने लीन रहते थे कि रत्नो द्वारा दी गयी रोटी और लस्सी खाना याद ही नहीं रहता था। एक बार जब रत्नो बाबाजी की आलोचना कर रही थी कि वह गायों का ठीक से ख्याल नहीं रखते जबकि रत्नो बाबाजी के खाने पीने का खूब ध्यान रखतीं हैं। रत्नो का इतना ही कहना था कि बाबाजी ने पेड़ के तने से रोटी और ज़मीन से लस्सी को उत्त्पन्न कर दिया। बाबाजी ने सारी उम्र ब्रह्मचर्य का पालन किया और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनकी महिला भक्त ‘गर्भगुफा’ में प्रवेश नहीं करती जो कि प्राकृतिक गुफा में स्थित है जहाँ पर बाबाजी तपस्या करते हुए अंतर्ध्यान हो गए थे।
कैसे पहुंचें बाबा के दर
धौलगिरी पर्वत के सुरम्य शिखर पर प्रतिष्ठित बाबा जी की पावन गुफा की जिला मुख्यालय से हमीरपुर से दूरी 45 किलोमीटर, शिमला से भोटा-सलौणी 170 किलोमीटर और बरंठी से शाहतलाई होते हुए 155 किलोमीटर है। चंडीगढ़ से ऊना-बड़सर, शाहतलाई के रास्ते 185 कलोमीटर है। पठानकोट से कांगड़ा एनएच 103 के रास्ते 200 किलोमीटर है। ऊना तक अन्य राज्यों से रेलवे सुविधा उपलब्ध है। ऊना से दियोटसिद्ध तक 65 किलोमीटर का सफर सड़क से तय करना पड़ता है।
दियोटसिद्ध के सिद्ध नगर की समतल तलहटी में सरयाली खड्ड के किनारे शाहतलाई नामक कस्बा स्थापित है। सिद्ध बाबा बालक नाथ जी दियोटसिद्ध में अपना धाम प्रतिष्ठित करने से पूर्व शाहतलाई की अपनी तपोस्थली व कर्मस्थली को लंबे अरसे तक रखा है। शाहतलाई जिला बिलासपुर में स्थित है जबकि दियोटसिद्ध जिला हमीरपुर में स्थित है। बिलासपुर से शाहतलाई से दूरी 64 किलोमीटर व दियोटसिद्ध पांच किलोमीटर है।
बाबा बालक नाथ जी भजन
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा
वे तू कदों बुलावेगा •°•°•°•°•।
तेरा शाहतलाईयां डेरा ओ
वावा कदों बुलावलेगा –5 ।।
इक चिमटा बनाया ओ बाबा तेरे नाम दा
ओ भी धुणें विच पाया ओ बाबा तेरे नाम दा
बे मन मोहणेंया•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•
* इक झोली बनाई ओ बाबा तेरे नाम दी*
ओ भी मुडे विच पाई ओ बाबा तेरे नाम दी
वे मनमोहणेया•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°
* इक रोट बनाया ओ बाबा तेरे नाम दा *
ओ भी मंदिर चढ़ाया ओ बाबा तेरे नाम दा
बाबा बालक नाथ जी भजन
जोगी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु, बाल मोर सवारी करदे हो , बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल, मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी तुसा शक्ति दे अवतार, वेडे पार करदे हो , बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो , जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी तेरी लीला अपरंपार, दुखड़े सबदे हरदे हो ,बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो, जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी संजो दियो चरणा दा प्यार, नित ना तेरा जपदे ओ , जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो , बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !! बाबा जी तेनु पुजे सारा संसार, झोलिया सबदी भरदे हो , जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो , बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
हिमाचली चण्या दा मदरा आइये बनाना सीखें
Himachali Madra recipe is a thick, yogurt based gravy that is a popular dish in Himachal Pradesh.
चना मदरा बनाने की सामग्री-
काबुली चना उबले हुये – 1 कप
दही – 1 कप
देशी घी – 4 छोटे चमच्च
हींग – 1 पिंच
जीरा – ½ छोटी चम्मच
दाल चीनी – 1 इंच टुकडा़
बडी़ इलायची – 2
लौंग – 4
काली मिर्च – 6-7
किशमिश – 2 छोटे चमच्च
धनियां पाउडर – 1 छोटी चम्मच
हल्दी पाउडर – ¼ छोटी चम्मच
लाल मिर्च पाउडर – ¼ छोटी चम्मच
नमक – ¼ छोटी चम्मच या स्वादानुसार
चना मदरा बनाने की विधि- Himachali Dham Chanya da MadraH- HIMACHALI MADRA RECIPE
चना मदरा बनाने के लिए मसालों को कूट कर तैयार कर लीजिए. इसके लिए बडी़ इलायची को छील दाने निकाल लीजिए, लौंग ,काली मिर्च को एक साथ दरदरा कूट कर तैयार कर लीजिए.
अब तड़का लगाएं, गैस ON कीजिए और कढा़ई को गैस पर रख कर कढा़ई में 2 छोटे चमच्च घी डालकर गरम कीजिए. घी के melt होने पर इसमें जीरा और हींग डाल कर तड़क लीजिए. जीरा तड़कने पर इसमें मसाला और दाल चीनी डाल कर Mix कीजिए और मसाले को हल्का सा भून लीजिए.
मसाला हल्का सा भून जाने पर इसमें हल्दी powder , धनिया पाउडर, boil चने और लाल मिर्च powder डालकर सभी चीजों को अच्छे से मिला लीजिए. अब इसमें किशमिश डाल दीजिए or 1-2 मिनिट लगातार चलाते हुए अच्छे से mix कीजिए |
मसाले के अच्छे से मिल जाने पर पर अब इसमें दही डालकर Mix कीजिए और चनों में उबाल दिला दीजिए. चनों में उबाल आने पर इसमें नमक और बचे हुए Ghee को भी चनों में डालकर अच्छे से मिला दीजिए. चना मदरा बनकर के तैयार है
स्वादिष्ट चना मदरा बनकर के तैयार है | काट कर रखा हुआ हरा धनिया डाल कर मिला दीजिए | Tasty चना मदरा को आप परांठे, चपाती, चावल किसी के भी साथ परोस सकते हैं, तो आप चना मदरा बनाईये और खाईये !!
हिमाचली छैल बांके पहाड़ी चुटकले
1. इकी शहरे दी कुड़िया दा ब्याह ग्रांये (गांव) च होइ जांदा ,
कुड़िया दी सस बोल्दी कि जा मही (भैंस) जो घा (घास)पाई आ,
कुड़ी जांदी, कने मही (भैंस) दे मुहें च झाग दिखदि कने बापिस आ जांदी ,
सस बोल्दी – क्या होया लाडिये ! मही (भैंस) जो घा नई पाया ?
कुड़ी बोल्दी, सासु जी – मेह (भैंस) ता अजे पतांजलि टूथपेस्ट करा दी है !!
2. तुसां कदी सोच्या ?.
हॉस्पिटल च मरीजे जो ऑप्रेसशने ते पहले बेहोश कजो करदे ?.
अगर बेहोश नी किता ता कने मरीज ऑपेरशन करना सीखी गया ता,
डॉक्टरां दा ता धंधा चोपट होइ जाणा !!
3.मुंडू – अपणी सहेली जो – तीजो च रब सुजदा मैं क्या करा ?
सहेली- करना क्या तू !! मथा टेक , पैसे चडाई जा कने अगे चलदा चल ,
और भी भक्त लग्यो लैणा च !!
4. इक गल दिखी जाये ता कि दुनिया च कोई भी इंसान शाकाहरी नी है !! सोचा जरा से कियां ?
क्योंकि दिमाग खाने दी आदत ता सारयां जो होंदी है !!