बाबा बालकनाथ जी हिन्दू आराध्य हैं, जिनको उत्तर-भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश , पंजाब , दिल्ली में बहुत श्रद्धा से पूजा जाता है, इनके पूजनीय स्थल को “दयोटसिद्ध” के नाम से जाना जाता है, यह
मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के छकमोह गाँव की पहाड़ी के उच्च शिखर में स्थित है। मंदिर में पहाडी के बीच एक प्राकॄतिक गुफा है, ऐसी मान्यता है, कि यही स्थान बाबाजी का आवास स्थान था। मंदिर में बाबाजी की एक मूर्ति स्थित है, भक्तगण बाबाजी की वेदी में “ रोट” चढाते हैं, “ रोट ” को आटे और चीनी/गुड को घी में मिलाकर बनाया जाता है। यहाँ पर बाबाजी को बकरा भी चढ़ाया जाता है, जो कि उनके प्रेम का प्रतीक है, यहाँ पर बकरे की बलि नहीं चढ़ाई जाती बल्कि उनका पालन पोषण करा जाता है।
कलयुग में बाबा बालकनाथ जी ने गुजरात, काठियाबाद में “देव” के नाम से जन्म लिया। उनकी माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम वैष्णो वैश था, बचपन से ही बाबाजी ‘आध्यात्म’ में लीन रहते थे। यह देखकर उनके माता पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय किया, परन्तु बाबाजी उनके प्रस्ताव को अस्विकार करके और घर परिवार को छोड़ कर ‘ परम सिद्धी ’ की राह पर निकल पड़े। और एक दिन जूनागढ़ की गिरनार पहाडी में उनका सामना “स्वामी दत्तात्रेय” से हुआ और यहीं पर बाबाजी ने स्वामी दत्तात्रेय से “ सिद्ध” की बुनियादी शिक्षा ग्रहण करी और “सिद्ध” बने। तभी से उन्हें “ बाबा बालकनाथ जी” कहा जाने लगा।
बाबाजी के दो पृथ्क साक्ष्य अभी भी उप्लब्ध हैं जो कि उनकी उपस्तिथि के अभी भी प्रमाण हैं जिन में से एक है “ गरुन का पेड़” यह पेड़ अभी भी शाहतलाई में मौजूद है, इसी पेड़ के नीचे बाबाजी तपस्या किया करते थे। दूसरा प्रमाण एक पुराना पोलिस स्टेशन है, जो कि “बड़सर” में स्थित है जहाँ पर उन गायों को रखा गया था जिन्होंने सभी खेतों की फसल खराब कर दी थी, जिसकी कहानी इस तरह से है कि, एक महिला जिसका नाम ’ रत्नो ’ था, ने बाबाजी को अपनी गायों की रखवाली के लिए रखा था जिसके बदले में रत्नो बाबाजी को रोटी और लस्सी खाने को देती थी,
ऐसी मान्यता है कि बाबाजी अपनी तपस्या में इतने लीन रहते थे कि रत्नो द्वारा दी गयी रोटी और लस्सी खाना याद ही नहीं रहता था। एक बार जब रत्नो बाबाजी की आलोचना कर रही थी कि वह गायों का ठीक से ख्याल नहीं रखते जबकि रत्नो बाबाजी के खाने पीने का खूब ध्यान रखतीं हैं। रत्नो का इतना ही कहना था कि बाबाजी ने पेड़ के तने से रोटी और ज़मीन से लस्सी को उत्त्पन्न कर दिया। बाबाजी ने सारी उम्र ब्रह्मचर्य का पालन किया और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनकी महिला भक्त ‘गर्भगुफा’ में प्रवेश नहीं करती जो कि प्राकृतिक गुफा में स्थित है जहाँ पर बाबाजी तपस्या करते हुए अंतर्ध्यान हो गए थे।
कैसे पहुंचें बाबा के दर
धौलगिरी पर्वत के सुरम्य शिखर पर प्रतिष्ठित बाबा जी की पावन गुफा की जिला मुख्यालय से हमीरपुर से दूरी 45 किलोमीटर, शिमला से भोटा-सलौणी 170 किलोमीटर और बरंठी से शाहतलाई होते हुए 155 किलोमीटर है। चंडीगढ़ से ऊना-बड़सर, शाहतलाई के रास्ते 185 कलोमीटर है। पठानकोट से कांगड़ा एनएच 103 के रास्ते 200 किलोमीटर है। ऊना तक अन्य राज्यों से रेलवे सुविधा उपलब्ध है। ऊना से दियोटसिद्ध तक 65 किलोमीटर का सफर सड़क से तय करना पड़ता है। दियोटसिद्ध के सिद्ध नगर की समतल तलहटी में सरयाली खड्ड के किनारे शाहतलाई नामक कस्बा स्थापित है। सिद्ध बाबा बालक नाथ जी दियोटसिद्ध में अपना धाम प्रतिष्ठित करने से पूर्व शाहतलाई की अपनी तपोस्थली व कर्मस्थली को लंबे अरसे तक रखा है। शाहतलाई जिला बिलासपुर में स्थित है जबकि दियोटसिद्ध जिला हमीरपुर में स्थित है। बिलासपुर से शाहतलाई से दूरी 64 किलोमीटर व दियोटसिद्ध पांच किलोमीटर है।
बाबा बालक नाथ जी भजन
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा वे तू कदों बुलावेगा ।
तेरा शाहतलाईयां डेरा ओ वावा कदों बुलावलेगा –2 ।।
इक चिमटा बनाया ओ बाबा तेरे नाम दा
ओ भी धुणें विच पाया ओ बाबा तेरे नाम दा
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा वे तू कदों बुलावेगा ।
इक झोली बनाई ओ बाबा तेरे नाम दी
ओ भी मुडे विच पाई ओ बाबा तेरे नाम दी
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा वे तू कदों बुलावेगा ।
इक रोट बनाया ओ बाबा तेरे नाम दा
ओ भी मंदिर चढ़ाया ओ बाबा तेरे नाम दा
वे मनमोहणेंआ बालक नाथा वे तू कदों बुलावेगा ।
बाबा बालक नाथ जी भजन
जोगी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु, बाल मोर सवारी करदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल, मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी तुसा शक्ति दे अवतार, वेडे पार करदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो ,
जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी तेरी लीला अपरंपार, दुखड़े सबदे हरदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो,
जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी संजो दियो चरणा दा प्यार, नित ना तेरा जपदे ओ ,
जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!
बाबा जी तेनु पुजे सारा संसार, झोलिया सबदी भरदे हो ,
जोगी जी जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो ,
बाबा जी तेरे कुण्डलु कुण्डलु बाल मोर सवारी करदे हो !!