लाडे दा चाचू गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे

हिमाचल में शादी विवाह के अवसर पर गीत गाने की परम्परा हमारे हिमाचल की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इन गीतों के अभाव में विवाह के अवसर को पूर्ण नहीं माना जाता । हिमाचल में ऐसे अनेक लोक गीत प्रचलित हैं, जिन्हें विवाह के अवसर पर गाया जाता है। एक इस ही है यह गीत है जिसे दुल्हन की तरफ की औरतें दूल्हे के साथ आये बारातियों को यह गीत गा कर निशाना बनाती थी !!
लाडे दा चाचू गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे ,
मछलियें फड़ लया, मुछां दा बाल, हर गंगे भई हर गंगे ,
छड़ दे मछलियें मुछा दे मुछां, हर गंगे भई हर गंगे ,
हुण नी ओंगा तेरे दरबार , हर गंगे भई हर गंगे,
लाडिया जो चड़ांगा तेरे दरबार, हर गंगे भई हर गंगे !!
लाडे दा मामा गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे ,
मछलियें फड़ लया, नके दा बाल, हर गंगे भई हर गंगे ,
छड़ दे मछलियें मुछा दे मुछां, हर गंगे भई हर गंगे ,
हुण नी ओंगा तेरे दरबार , हर गंगे भई हर गंगे,
लाडिया जो चड़ांगा तेरे दरबार, हर गंगे भई हर गंगे !!

हिमाचली गीत बिंदु नीलू दो सखियाँ

पारे पासे हो गईआं हो बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
बड़े घरां दियां , हो बडिया मजाजा पाटियाँ !!bindu neelu do sakhiyan
हो पारे बत्ता हो गईयां, बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
मटक मटक चले हो दिले ते चलान्दी छुरियां !!.
मटक मटक चले हो दिले ते चलान्दी छुरियां !!
छोरु लुकी छुपी दिखदे हो, दूरों दूरों मारें सीटियां !!
छोरु लुकी छुपी दिखदे हो, दूरों दूरों मारें सीटियां !!
पारे पासे हो गईआं हो बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
बडिया चलाक मित्रो, अखियां ने करे बतियाँ !!
आँख जेई लाई जांदियां जित्थु ते भी टपियाँ !!
हो पारे बत्ता हो गईयां, बिंदु नीलू दो सखियाँ !!
लोक रोज ग्लां करदे , बाजार हटियां !!
छोरु कलजुआं पकड़दे, दिखी करि जदो हसियां !!
हो पारे बत्ता हो गईयां, बिंदु नीलू दो सखियाँ !!

मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी

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लाडा जालु खाण लगया , खा गया बाटी सारी- लाडा जालु खाण लगया , खा गया बाटी सारी,kangri dham

लाडे जालु होर मंगया , लबडा ने कड़छी मरी – लाडे जालु होर मंगया , लबडा ने कड़छी मारी ,
लबडा ते खून बगया , होया मुकदमा भरी -मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी !!

मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी – मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी ,
लाडे दा चाचा जालु खाण लगया , खा गया बाटी सारी- लाडा जालु खाण लगया , खा गया बाटी सारी,

लाडे दा चाचे जालु होर मंगया , लबडा ने कड़छी मरी – लाडे जालु होर मंगया , लबडा ने कड़छी मारी ,
लबडा ते खून बगया , होया मुकदमा भरी -मिरचां झरभरियां , चण्या दी दाल करारी !!

लाडे दा चाचू गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे

हिमाचल में शादी विवाह के अवसर पर गीत गाने की परम्परा हमारे हिमाचल की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इन गीतों के अभाव में विवाह के अवसर को पूर्ण नहीं माना जाता । हिमाचल में ऐसे अनेक लोक गीत प्रचलित हैं, जिन्हें विवाह के अवसर पर गाया जाता है। एक इस ही है यह गीत है जिसे दुल्हन की तरफ की औरतें दूल्हे के साथ आये बारातियों को यह गीत गा कर निशाना बनाती थी !!Kangra shadi

लाडे दा चाचू गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे ,
मछलियें फड़ लया, मुछां दा बाल, हर गंगे भई हर गंगे ,
छड़ दे मछलियें मुछा दे मुछां, हर गंगे भई हर गंगे ,
हुण नी ओंगा तेरे दरबार , हर गंगे भई हर गंगे,
लाडिया जो चड़ांगा तेरे दरबार, हर गंगे भई हर गंगे !!

लाडे दा मामा गया हरिद्धार, हर गंगे भई हर गंगे ,
मछलियें फड़ लया, नके दा बाल, हर गंगे भई हर गंगे ,
छड़ दे मछलियें मुछा दे मुछां, हर गंगे भई हर गंगे ,
हुण नी ओंगा तेरे दरबार , हर गंगे भई हर गंगे,
लाडिया जो चड़ांगा तेरे दरबार, हर गंगे भई हर गंगे !!